राजस्थान में सत्ता के संघर्ष के लिए चल रही उठापटक

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जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  के डबल गेम से कांग्रेस आलाकमान गुस्से में है. एक तरफ गहलोत ने पर्यवेक्षक मलिकार्जुन खड़गे और महासचिव के सी वेणुगोपाल से कहा कि उनके हाथ में कुछ नहीं है. समर्थक विधायकों ने शक्ति प्रदर्शन और इस्तीफे  का फैसला अपने स्तर पर किया है. वहीं दूसरी तरफ गहलोत ने पार्टी पर्यवेक्षकों को दो टूक कहा है कि जब तक राजस्थान में सीएम का मसला नहीं सुलझता है तब तक वे राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल नहीं करेंगे.

गहलोत के इस कदम को सीधे हाईकमान को चुनौती और धमकी के रूप में देखा जा रहा है. वहीं गहलोत समर्थकों ने उनको सलाह दी है कि वे सीएम का पद किसी सूरत में नहीं छोड़े और राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए नामांकन भी दाखिल न करें. समर्थकों का कहना है कि जब तक कि हाईकमान अगले सीएम के चयन को लेकर उनकी शर्तें न मान लें तब तक कोई कदम नहीं उठाएं.

अगला सीएम सचिन पायलट को नहीं बनाया जाए
गहलोत कैंप की पहली शर्त है यह कि पार्टी हाईकमान विधायकों से ये वादा करे कि अगला सीएम सचिन पायलट को नहीं बनाया जाएगा. इतना ही नहीं पायलट के समर्थक किसी नेता को भी ये पद नहीं दिए जाने की मांग की गई है. गहलोत कैंप की दूसरी मांग है गहलोत की जगह नया सीएम उन विधायकों में से बनाया जाए जिन्होंने दो साल पहले गहलोत सरकार बचाई थी न कि उनको जो सरकार गिराने वालों में शामिल थे.

76 विधायकों ने ही रविवार देर रात इस्तीफे सौंपे
उनकी तीसरी मांग है सीएम के चयन का फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रकिया के बाद ही किया जाए. यही नहीं फैसला भी गहलोत की इच्छा के मुताबिक होना चाहिए. इस बीच गहलोत कैंप को एक झटका तब लगा जब विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को महज 76 विधायकों ने ही रविवार देर रात इस्तीफे सौंपे. जबकि सरकार बचाने के दौरान गहलोत के पास 100 से अधिक विधायक थे.

 

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