पीएफआई और इससे जुड़ी संस्थाओं पर पांच साल का प्रतिबंध, सरकार का बड़ा फै़सला

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केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और इसके सहयोगी संस्थानों, या इससे संबंधित या अग्रणी संगठनों को पांच वर्षों के लिए विधि विरु मंत्रालय के मुताबिक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया कई आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल रहा है, ये संगठन देश के संवैधानिक प्राधिकार का अनादर करता है तो साथ ही बाहरी स्रोतों से मिले धन और समर्थन से ये आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है |

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और इससे जुड़ी संस्‍थाओं को पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार सुबह इस संबंध में अधिसूचना जारी की। 27 सितंबर 2022 की तारीख वाली अधिसूचना में इन संगठनों के बारे में विस्‍तार से बताया गया है। इन सभी को अगले पांच साल के लिए ‘गैरकानूनी एसोसिएशन’ घोषित किया गया है। गृह मंत्रालय के मुताबिक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया कई आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल रहा है, ये संगठन देश के संवैधानिक प्राधिकार का अनादर करता है तो साथ ही बाहरी स्रोतों से मिले धन और समर्थन से ये आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है, विभिन्न मामलों की जांच से ये साबित हुआ है कि PFI और इसके काडर हिंसक और विध्वंसक गतिविधियों के अलावा कई आतंकी गतिविधियों और कई प्रमुख व्यक्तियों की हत्या में भी शामिल रहे हैं | इस संगठन के वैश्विक आतंकी समूहों के साथ सम्पर्क के भी कई सबूत मिले हैं, यहॉं तक कि इनके काडर ने ISIS के लिए अफ़गानिस्तान, सीरिया, ईराक में काम किया. कई मारे गए तो कुछ को सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार भी किया है, पीएफआई का संपर्क प्रतिबंधित संगठन जमात उल मुजाहिद्दीन ( बांग्लादेश) से भी रहा है तो इसके कई सदस्य पहले से प्रतिबंधित संगठन सिमी के भी सदस्य रहे हैं, यह भी पाया गया है कि ये संगठन और इससे जुड़े कई संगठन हवाला और अन्य माध्यमों से विदेश से पैसा जुटाकर आतंकी गतिविधियों को बढावा देने में पैसे का इस्तेमाल कर रहे हैं | उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों ने भी पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है|

ऐसे में गृह मंत्रालय ने कहा है कि पीएफआई और उससे जुड़े संगठन देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, जो देश की अखण्डता, संप्रभुता और सुरक्षा के प्रतिकूल है. इससे देश में साम्प्रदायिक माहौल खराब होने और उग्रवाद को प्रोत्साहन मिलने की आशंका है. इतना ही नहीं अधिसूचना में ये भी कहा गया है कि पीएफआई समाज के एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाकर लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है.

दरअसल हाल ही में एनआईए और ईडी ने संगठन के ऊपर देशव्यापी छापेमारी की थी. जिसमें देश विरोधी गतिविधियों के कई अहम सबूत बरामद हुए थे तो संगठन के 100 से ज्यादा नेताओं और काडर को गिरफ्तार भी किया गया था. कल ही कई राज्यों की पुलिस ने भी संगठन से जुड़े लोगों के घरों पर छापेमारी की थी और कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था.

 

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