स्पाइन मास्टर्स यूनिट (वासल अस्पताल जालंधर) के सीनियर इंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जन डॉ, पंकज त्रिवेदी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में स्पाइन सर्जरी की एडवांसमेंट ने स्पाइन सर्जरी को काफी बदल दिया है। अब ज्यादातर स्पाइन सर्जरी इंडोस्कोप से होती है। इसमें मरीज को बिना बेहोश किये 6 मिमी के छोटे से चीरे से किया जाता है और ऑपरेशन के तुरंत बाद मरीज अपने पैरों से चलकर जाता है।
इंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी ने स्पाइन सर्जरी को डे केयर सर्जरी बना दिया है। मगर इस सर्जरी को सीखने में काफी मुश्किल आती है। इसलिए इस तरह से ऑपरेशन करने वाले लोग काफी कम है। काफी देशों में ये सर्जरी उपलब्ध नहीं है। डॉ. त्रिवेदी पिछले करीब 10 साल से इंडोकोपिक सर्जरी कर रहे है। नाजमूल हसन जिनकी उम्र 33 साल है और वे बंगलादेश से हैं और सऊदी अरब से काम कर रहे है। वे पिछले काफी साल से कमर दर्द से पीड़ित थे। साथ ही बायीं पैर में काफी दर्द होता था। इस कारण नाजमूल काफी चल भी नहीं पाते थे। वे बांग्लादेश से स्पाइन मास्टर्स यूनिट (वासल अस्पताल जालंधर) में डॉ. त्रिवेदी से इंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी के लिए आये।