भारत के 11वें राष्ट्रपति और मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम की आज 91वीं जयंती हैं। इनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम हैं। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम् में एक साधारण परिवार में हुआ था। कलाम के पिता का नाम जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम और माता का नाम आशिमा जैनुलाब्दीन था। कलाम के पिता का सपना था कि अब्दुल कलेक्टर बने लेकिन उस समय किसी को कहां पता था कि भारतीय इतिहास में इनका नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखी जाएगी। कलाम की लोगों के दिलों में अलग ही जगह बनी हुई है। एक महान विचारक, लेखक और वैज्ञानिक के रूप में कार्य़रत थे। आज भले ही कलाम हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनका आदर्शों भरा जीवन हर एक देशवासी को जीवन में अग्रसर रहने और सफलता की सीढ़ियों पर निरंतर चलते रहने को प्रेरित करता रहता है। उनकी यादें अमिट हैं। आइए कलाम जी के जन्मदिन पर जानते हैं उनके बारें में खास बातें-
कलाम बहुत मेहनती छात्र थे
जब वे स्कूल जाने लगे तो उनके घर में बिजली नहीं थी। वे रात में मिट्टी के तेल का दीपक इस्तेमाल कर रहे थे लेकिन वे शाम 7 बजे से रात 9 बजे तक सिर्फ 2 घंटे केरोसिन का ही इस्तेमाल कर पाते थे।
चूँकि उनकी माँ को पता था कि कलाम को रात में पढ़ने के लिए रोशनी की ज़रूरत होती है, इसलिए उन्होंने उन्हें एक छोटा मिट्टी का दीपक दिया ताकि वह रात 11 बजे तक पढ़ सकें।
वह हमेशा एक अच्छे स्कूल में पढ़ना चाहता था। लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि एक अच्छे स्कूल का खर्च उठा सकें। वह हमेशा जिज्ञासु और ज्ञान प्राप्त करने के लिए तैयार रहता था।
उनके माता-पिता शिक्षित नहीं थे, लेकिन वे कलाम के समर्पण और उनके अध्ययन में रुचि से अवगत थे। इसलिए उन्होंने किसी भी तरह से पैसा इकट्ठा करने का फैसला किया, उन्होंने कलाम को तमिलनाडु के रामनाथपुरम में श्वार्ट्ज स्कूल नामक एक अच्छे स्कूल में भर्ती कराया।
एक दिन स्कूल में कलाम जल्दी में थे। उसने गलत कक्षा में कदम रखा जहाँ गणित का शिक्षक कक्षा ले रहा था। शिक्षक परेशान दिख रहा था।
उन्होंने कलाम पर तंज कसते हुए कहा, आप इस स्कूल में क्या कर रहे हैं यदि आपको सही कक्षा में जाने का रास्ता भी नहीं मिल रहा है? तुम उस गाँव में वापस जाओ जहाँ से तुम आए हो। ” टीचर ने पूरी क्लास के सामने उसे पीटा। कलाम को उस समय बहुत बुरा लगा।
उस दिन से कलाम ने कक्षा में सर्वश्रेष्ठ छात्र बनने का मन बना लिया। वह दिन-रात मेहनत करने लगा। आखिरकार, उसने गणित की परीक्षा में पूरे अंक हासिल किए। कलाम बेहद खुश थे क्योंकि उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें रंग दिया।
अगले ही दिन सभा के दौरान वही शिक्षक, जिसने कलाम को डांटा और दण्ड दिया, उठ खड़ा हुआ और बोला, जिसको मैं दण्ड दिया दूँ वह महापुरुष बन जाता है! सभा में मौजूद सभी लोग ठहाके लगाकर हंसने लगे।
शिक्षक ने कलाम की ओर उंगली उठाई और कहा, मेरे शब्दों को चिह्नित करें, यह लड़का इस स्कूल को गौरवान्वित करेगा।और बाकी इतिहास है।
स्टेशन पर अखबार फेकने का किया काम
एपीजे अब्दुल कलाम जी ने एक वक्त पर अखबार बेचने का काम भी किया है कलाम अपने चचेरे भाई शमसुद्दीन प्रेरित थे। शमसुद्दीन उस समय स्टेशन पर अखबार उतारने का काम करते थे। वर्ल्ड वॉर 2 के समय भारत को अलाइड फोर्सेड ज्वाइन करने के लिए कहा था। देश में इंमरजेंसी जैसी हालत बन गई थी। रामेश्वरम और धनुषकोडी स्टेशन पर ट्रेनें रुकनी बंद हो गई हैं। जहां पहले ट्रेन से अखबार उतारे जाते थे वहां अब अखबार फेंके जाने लगे उस वक्त शमसुद्दीन को एक साथी की जरुरत थी और उनके ये साथ एपी जे अब्दुल कलाम बने थे।
पद्मभूषण से किया गया सम्मानित
भारत सरकार ने 1981 में कलाम साहब को पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके बाद साल 1990 में पद्म विभूषण और साल 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। भारत रत्न पाने वाले वे देश के तीसरे राष्ट्रपति हैं। इसके साथ ही एपीजे अब्दुल कलाम को 1992 से 1999 में रक्षा सलाहाकार नियुक्त किया गया था।